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मिथिला की संस्कृति को बचाती दरभंगा की रंगटोलियां

 

मिथिला की संस्कृति को बचाती दरभंगा की रंगटोलियां (Theatre Groups in Darbhanga)

दरभंगा को शुरुआत से ही बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कही जाती रही है। इसका मुख्य कारण दरभंगा राजघराना है महाराज के शासन में दरभंगा में अनेकों तरह ही गतिविधियाँ होती रही होंगी परन्तु राज- साम्राज्य की प्रथा समाप्त होने के बाद यहाँ शायद सांस्कृतिक गतिविधियां थम-सी गई। यूँ तो छिटपुट ये कार्य ग्रामीण स्तरों पर यथासंभव किया जाता रहा परन्तु गुमनाम रहा। वो कहते है ना आवश्यता ही अविष्कार की जननी होती है तो आवश्यकता पड़ने पर शहर में कुछ रंगकर्मियों ने बागडोर संभाल रंगकार्य और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने लगे।

लनामिविवि भी कर रही हरसम्भव मदद: (LNMU Theatre, Darbhanga)

शहर में रंगकर्म की गति बढ़ाने में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का भी बहुत बड़ा योगदान है। बिहार में एकमात्र इसी संस्थान में रंगकर्मियों को नाट्यशास्त्र की शिक्षा दी जाती है। ऐसे में बिहार के हरेक क्षेत्र के रंगकर्मी शिक्षा ग्रहण करने आते है और यहाँ दो वर्षों अपने को निखारते है और शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों में ऊर्जा प्रदान करते है।

वर्तमान में दरभंगा शहर में कार्यरत संस्थाएं (Famous Theatre Groups in Darbhanga)

वर्तमान में दरभंगा में कुछ सक्रिय रंग-संस्थाएं बिना किसी सरकारी मदद से, अभाव में भी शहर को अपनी कृतियों से मनोरंजित करते रहते है। जिनमें Theatre unit श्री प्रकाश बन्धु के निर्देशन, The Spotlight Theatre श्री सागर सिंह के निर्देशन, Rebel Theatre Group शिवम झा शांडिल्य के निर्देशन और विदूषक उज्ज्वल राज के निर्देशन में लगातार कार्यरत है।

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