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Sarla Thakral: भारत की पहली महिला पायलट, 24 साल में उम्र में हो गई थी विधवा

Sarla Thakral क्‍या आपको पता है कि विश्‍व में सबसे ज्‍यादा महिला पायलट किस देश में हैं। अगर नहीं पता है तो आज जान लीजिए, विश्व में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 1500 महिला पायलट हैं, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश से ज्यादा है। भारत के आसमान में महिलाएं राज करती हैं। इस समय भारतीय विमानन कंपनियों में करीब 12.4% महिला पायलट हैं, जो विश्व औसत 5.4% से काफी अधिक है। देश की महिलाओं को आसमान में उड़ने के लिए यह पंख दिए थे, भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल (First Indian Woman Pilot Sarla Thakral) ने।

सरला ठकराल का जीवन परिचय (Sarla Thakral Life Journey)

सरला ठकराल, जिन्हें “स्काई क्वीन” (Sky Queen Sarla Thakral) के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्म जन्‍म 8 अगस्‍त 1914 को दिल्ली में हुआ था। सरला की शादी महज 16 साल की उम्र में पायलट पी डी शर्मा के साथ हो गई थी। सरला की शादी जिस परिवार में हुई थी उस परिवार में 9 सदस्य थे और सभी पायलट थे। शादी के बाद पी डी शर्मा ने सरला में उड़ान भरने और विमानों के बारे में जानने की जिज्ञासा देखी। जिसके कारण उन्‍होंने सरला को एक पायलट बनने के लिए कहा। शुरुआत में तो समाज के डर से सरला ने कई बार मना किया, पर आखिर में उनके पति ने उन्हें मना ही लिया।

Sarla Thakra ने 1936 में पहली बार उड़ाया जिप्सी मॉथ प्लेन

नव भारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पायलट ट्रेनिंग के लिए सरला का दाखिला उनके ससुर ने जोधपुर फ्लाइंग क्‍लब में करवाया। इस फ्लाइंग क्‍लब ने आज से पहले कोई लड़की नहीं देखी थी आज वहां एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन चलाना सीखने आई थी। फ्लाइंग स्कूल के लिए ये एक बहुत ही अलग स्थिति थी। सरला का एक प्लेन के किताबी और वास्तविक रूप से परिचय कराया। सरला की रूचि अपने काम के प्रति इतनी अधिक थी कि हर सवाल का जवाब उनकी ज़ुबान पर था।

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सरला की इस हाजिर जवाबी को उनके ट्रेनर ने देखा और महज़ 8 घंटे के अंदर ही उन्हें सरला पर इतना विश्वास हो गया। सरला ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के दौरान, पहली बार, उन्होंने साल 1936 में लाहौर में, जिप्सी मॉथ नाम का दो सीटर विमान उड़ाया था। इस दौरान उन्होंने भारतीय परंपरा का मान रखते हुए साड़ी पहनकर अपनी पहली सोलो फ्लाइट में उड़ान भरी थी। उस दिन सरला ने न सिर्फ अपना फ्लाइंग टेस्ट पास किया, बल्कि उन्होंने सोच लिया कि वो इसे और आगे तक ले जाएंगी। जब सरला ने अपनी पहली उड़ान भरी, तो वह न सिर्फ शादीशुदा थी, बल्कि एक 4 साल की बेटी की मां भी थीं। उन्होंने ऐसे समय में इस सपने को पूरा किया जब विमानन केवल पुरुषों के लिए था।

सरला ठकराल कैसे बनीं पहली महिला पायलट (First Indian Woman Pilot Sarla Thakral)

फ्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला अंदर से पायलट बनने के लिए तैयार हो चुकी थीं। सरला को अपना पहला ‘A’ लाइसेंस हासिल करने के लिए करीब 1000 घंटे तक प्लेन उड़ाने का अनुभव करना था। वह उस समय महज 21 साल की ही थीं, जब उन्होंने ये कारनामा करके दिखाया और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला बनीं। लाइसेंस मिलने के सरला ने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने का प्‍लान बनाया। इसके लिए उन्होंने जोधपुर में टेस्ट देना था, लेकिन इससे पहले ही 24 साल की उम्र में ही उन्होंने एक प्लेन क्रैश में अपनी पति को खो दिया। ये सदमा उनके लिए बहुत बड़ा था मगर उनके पति की इच्छा थी कि सरला एक पायलट बनें। इसलिए वे जोधपुर जाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की। उन्होंने अपना लाइसेंस पाया और सोचा कि एयरलाइन्स में अपना करियर शुरू करें मगर उससे पहले ही दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया। जिसके कारण सरला को जोधपुर से लाहौर वापस आना पड़ा।

शुरू करना पड़ा दूसरा बिजनेस

इन विपरीत परिस्थितियों में भी सरला ठकराल ने हार नहीं मानी। उन्होंने लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स से फाइन आर्ट्स और चित्रकला की पढ़ाई पूरी की। फाइन आर्ट्स और चित्रकला का अध्ययन करने के बाद उन्होंने पेंटिंग और डिजाइनिंग से अपने नए करियर की शुरुआत की। महिलाओं के बीच उनके बनाए डिज़ाइन काफी प्रसिद्ध भी हुए। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1947 में देश का बंटवारा हो गया। लाहौर अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था। जिसके कारण उन्‍हें अपनी दोनों बच्चियों के साथ भारत वापस आना पड़ा। यहां पर उन्होंने परिवार के लिए अपना बिजनेस फिर से खड़ा किया। साल 1947 में आज़ादी के बाद, जब सरला दिल्ली आईं, तब उन्होंने खुद को एक उद्यमी के तौर पर खड़ा किया। साल 1948 में उन्होंने आरपी ठकराल से शादी कर ली। दूसरी शादी से भी सरला को एक बेटी हुई। कई सालों तक सरला इसी तरह से अपना बिजनेस चलाती रही और 15 मार्च 2008 को 91 साल की उम्र में सरला ठकराल का निधन हो गया।

सरला ठकराल एक साहसी और प्रेरणादायक महिला थीं। उन्होंने महिलाओं के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया और साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर सफल हो सकती हैं। सरला को लोग प्यार से मति कहते थे।

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