Best Places in Darbhanga: दरभंगा उत्तर बिहार का एक प्रमुख जिला और कमिश्नरी (प्रमंडल) है। दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत तीन जिले दरभंगा, मधुबनी, एवं समस्तीपुर आते हैं। बिहार की राजधानी पटना से यह लगभग 140 किलोमीटर दूर है। जिले की स्थापना 1875 में की गई थी। दरभंगा जिले की मुख्य नदी बागमती है। यह नदी दरभंगा जिले के बीच से बहती है। दरभंगा 16वीं सदी में स्थापित दरभंगा राज की राजधानी था। अपनी प्राचीन संस्कृति और बौद्धिक परंपरा के लिये यह शहर विख्यात रहा है। इसके अलावा यह जिला आम और मखाना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। दरभंगा जिले में आपको प्राचीन महल एवं किले के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। आज हम आपको दरभंगा में सबसे अच्छी जगहें (Tourist places of Darbhanga) , दर्शनीय स्थल के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
Best Places in Darbhanga: चन्द्रधारी संग्रहालय दरभंगा (Chandradhari Museum Darbhanga)
चंद्रधारी संग्रहालय दरभंगा जिले का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह संग्रहालय दरभंगा रेलवे स्टेशन के पास में स्थित है। आप यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं। आप दरभंगा रेलवे स्टेशन से 5 मिनट से भी कम समय में टहलते हुए यहां पहुँच सकते हैं। चंद्रधारी संग्रहालय की स्थापना 7 दिसंबर 1957 को की गई थी। इसका सबसे पहले नाम मिथिला संग्रहालय रखा गया। मधुबनी जिले के रांटी सूबे के जमींदार बाबू चंद्रधारी सिंह ने बहुत सी कलाकृति और धरोहरों को दान स्वरूप इस संग्रहालय को दिया था। जिसके कारण बाद में इसका नाम बदलकर चंद्रधारी संग्रहालय रख दिया गया। बता दें कि संग्रहालय आम दर्शकों के लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक खुला रहता है।
Chandradhari Museum Darbhanga में एक लाइब्रेरी भी है
संग्रहालय की सामग्री और व्यवस्था के आधार पर इसे कुल 11 दीर्घाओं में बांटा गया है। जिसमें 12 हजार से अधिक सुरक्षित वस्तुओं में धातु, हाथी के दांत, लकड़ी और मिट्टी से निर्मित वस्तुओं की यहां आप झलक पा सकते हैं। संग्रहालय के अंदर आपको कृष्ण लीला की तस्वीरें, ब्रास धातु से बने हुए स्टैचू, दुर्गा, शिव, सूर्य, विष्णु भगवान जी की सुंदर प्रतिमा, बुद्ध भगवान जी की प्रतिमा, कीमती पत्थर, युद्ध में उपयोग किए गए हथियार, सिक्के, कांच से बना हुआ सामान देखने के लिए मिल जाता है। इसके अलावा यहां पर लाइब्रेरी भी है, जहां पर आपको पुस्तकें पढ़ने के लिए मिलती है।
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इस संग्रहालय को देखने के लिए देश की कई बड़ी हस्तियों का आगमन हो चुका है। जिसमें प्रमुखत: लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, डॉ। जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साथ ही कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों का नाम शामिल है। फिलहाल इसे देखने के लिए दर्शकों को कोई शुल्क नहीं लगता है। यह संग्रहालय दरभंगा में पर्यटन के लिहाज से एक मुख्य जगह है।
अहिल्या स्थान (Ahalya Sthan)
अहिल्या स्थान या अहियारी भारत के बिहार राज्य के दरभंगा जिले सदर अनुमंडल के अंतर्गत स्थित एक गाँव है। कमतौल रेलवे स्टेशन से उतरकर यहाँ पहुंचा जाता है। यह स्थान सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी से 40 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह जाले प्रखंड के कमतौल रेलवे स्टेशनसे लगभग तीन किलोमीटर दक्षिण में अवस्थित है कहा जाता है कि ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा से इसी स्थान पर राम ने अहिल्या का उद्धार किया था। त्रेतायुग में जन्मी वही देवी अहिल्या जिनका उद्धार भगवान राम के चरणों के स्पर्श से हुआ था। रामायण में इस घटना का विस्तार से वर्णन मिलता है कि जनकपुर जाते समय रास्ते में भगवान राम का पैर जैसे ही एक शिला पर पड़ता है, वह शिला जीवित स्त्री में बदल जाती है। यह स्त्री देवी अहिल्या थीं। दरभंगा जिला स्थितअहिल्या स्थान बिहार के प्रमुख पर्यटन सथलों में से एक है।
यहां प्रति वर्ष दो बार वृहत मेला लगता है
दूर-दूर तक यह मंदिर अपनी इसी विशेषता के लिए जाना जाता है कि इस मंदिर में पुजारी की भूमिका महिलाएं निभाती हैं। इस मंदिर को शाप मुक्ति स्थल भी कहा जाता है। सनातन धर्म में आस्था रखनेवाले और श्रीराम के भक्त दूर-दूर से इस मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। अहिल्या स्थान में प्रति वर्ष दो बार वृहत मेला लगता है | एक , हिंदी महीने के चैत्र में राम नवमी के अवसर पर और दूसरा , अगहन महीने के विवाह पंचमी के अवसर पर।
श्यामा माई मंदिर दरभंगा – Shyama Maa Mandir Darbhanga
श्यामा माई मंदिर शहर के बीचो बीच में स्थित दरभंगा जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और सभी मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में श्याम रंग की माता की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। मंदिर के सामने एक तालाब बना हुआ है, जिसे काली मंदिर तालाब के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। यह मंदिर लाल कलर का है। मंदिर का शिखर देखने लायक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि आप यहां पर आकर जो भी मनोकामना मांगते हैं। वह जरूर पूरी होती है। इसलिए लोग यहां पर आकर मां के दर्शन करते और मनोकामना मांगते हैं।
चिता पर बनी है यह मंदिर
श्यामा माई का मंदिर श्मशान घाट में महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता पर बनाया गया है और यह अपने आप में असामान्य घटना है। महाराजा रामेश्वर सिंह दरभंगा राज परिवार के साधक राजाओं में थे। राजा के नाम के कारण ही इस मंदिर को रामेश्वरी श्यामा माई के नाम से जाना जाता है। मंदिर की स्थापाना 1933 में दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने की थी। गर्भगृह में मां काली की विशाल प्रतिमा के दाहिनी ओर महाकाल और बाईं ओर गणपति एवं बटुकभैरव देव की प्रतिमा स्थापित है। मां के गले में जो मुंड माला है उसमें हिंदी वर्णमाला के अक्षरों के बराबर मुंड हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदी वर्णमाला सृष्टि के प्रतीक हैं।
मंदिर परिसर में आपको बहुत सारे अन्य मंदिर देखने को मिलते हैं। यहां पर शिव भगवान जी, काली माता जी, अन्नपूर्णा देवी जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलता है। इस मंदिर के आसपास जितने भी मंदिर है, वह भी प्राचीन और बहुत सुंदर है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है और यहां आप अपना अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं। यहां पर आपको शिव मंदिर, कमलेश्वरी काली मंदिर, रूद्रेश्वरी काली मंदिर देखने के लिए मिल जाता है। यह घुमने के लिए दरभंगा की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
क्रमश… : अगले पार्ट में दरभंगा जिले के कुछ अन्य दर्शनीय स्थल की जानकारी देंगे।