23 अगस्त 2023 वह दिन है जब भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल की। Chandrayan-3 ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर इतिहास में के पन्नो में अपना नाम दर्ज कर दिया है। आज पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है। भारत को यह ऐतिहासिक सफलता दिलाने में झारखंड के खूंटी जिले के रहने वाले साइंटिस्ट सोहन यादव का भी हाथ है, जिन्होंने इस मिशन में अहम भूमिका निभाई है।
साइंटिस्ट सोहन एक ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं और मां एक गृहिणी हैं। गरीबी और अभाव में बचपन व्यतीत करने वाले सोहन 4 भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। सोहन गांव के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पांचवीं कक्षा तक पढ़े। इसके बाद उन्होंने नवोदय विद्यालय में पढ़ाई की और वहां से दसवीं पास की। उन्होंने 12वीं कक्षा बरियातू के DAV से पास की।
सोहन पढ़ाई में काफी अच्छे थे और उन्होंने कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने IIT कम्पलीट करने के बाद ISRO को ज्वाइन किया। इसके बाद अपनी मेहनत और लगन की बदौलत सोहन ने चंद्रयान-2 की टीम में जगह हासिल की।
सोहन की मां ने Chandrayan-3 की सफल लैंडिंग हेतु रखा व्रत
साइंटिस्ट सोहन की मां का नाम देवकी देवी है। उनकी मां ने बताया कि उन्होंने सोहन को काफी मुश्किलों से पढ़ाया-लिखाया, लेकिन आज उनकी सफलता देख वह खुश हैं। उन्होंने कहा कि जब तक Chandrayan-3 की लैंडिंग नहीं हुई तब तक उन्होंने उपवास रखा था। सोहन की मां बेटे की कामयाबी से काफी खुश हैं।
सोहन के पिता का नाम शिवशंकर है और वह एक ट्रक ड्राइवर हैं। जब वह 3 हजार रुपए कमाते थे तब उसमें से 2500 रुपए वह सोहन की पढ़ाई पर खर्च किया करते थे। बेटे की पढ़ाई में कोई कमी न रहे इसके लिए वह घर खर्च में कटौती कर उन्हें पढ़ते थे। सोहन की भाभी ने बताया कि उनकी शादी के समय घर की स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन सोहन की मेहनत और लगन के चलते आज उनकी स्थिति काफी अच्छी है।
उन्होंने कहा कि आज सोहन की मेहनत की बदौलत पुरे देश को उन पर गर्व है। परिवार के लिए यह बेहद ही खुशी का मौका है। रिश्तेदार लगातार फ़ोन करके बधाई दे रहे हैं।