Let’s Jhijhiya 2023: एक समय था मिथिला (उत्तर बिहार ) में दुर्गा पूजा हो और झिझिया नृत्य न हो, ऐसा नहीं हो सकता है। लेकिन अब ये परंपरा विलुप्त सी हो गई है। इसमें लड़कियां या महिलाएं समूह में नृत्य करती हैं। इनके सिर पर सैकड़ों छिद्र वाला मिट्टी का घड़ा होता है, जिसमें जलता हुआ दीपक रहता है। झिझिया करती महिलाएं अपने आराध्य से समाज में व्याप्त कलुषित मानसिकता की शिकायत करती हैं। गीत के माध्यम से समाज में व्याप्त कुविचारों को अलग-अलग नाम देकर उसे समाप्त करने की प्रार्थना करती हैं।
युवा पत्रकार अमित कुमार अपने संस्था के माध्यम से विलुप्तप्राय लोकनृत्य झिझिया के स्वरूप, अवधारणा और प्रदर्शन शिल्प को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के मंशा से पिछले कई सालों से प्रयासरत हैं। इसी क्रम में 5 नवंबर रविवार को राजधानी पटना के विधापति भवन में प्रभोध्यान रेस्पोंसिब्लिटी फाउंडेशन के द्वारा Let’s Jhijhiya नाम के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान विभिन्न जिलों के लोक कलाकारों ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।
Let’s Jhijhiya 2023: लोकनृत्य झिझिया को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है
प्रभोध्यान रेस्पोंसिब्लिटी फाउंडेशन के संस्थापक अमित कुमार ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवित रखना है तो उसे सिर्फ दिल में सहेजने से काम नहीं चलेगा। उसे जुबां पर लाने और लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। पहले हर गांव से झिझिया नृत्यकर्ता की टोली नवरात्रि के दौरान निकाली जाती थी। अब तो कहीं- कहीं ही इस नृत्य का अस्तित्व बचा हुआ है। इसलिए लोकनृत्य झिझिया को लोकप्रिय बनाने के उदेश्य से हमलोग पिछले तीन साल से यह कार्यक्रम कर रहे हैं।
Let’s Jhijhiya 2023 के सह संयोजक और Talkingly Media Private Limited के प्रबंध निदेशक ऋषि राज ने कहा कि भरतनाट्य, कथक जैसे नृत्य को जो पहचान मिली, वह झिझिया को नहीं मिल सकी। इसके लिए राज्य सरकार और अन्य मैथिली संस्थाओं की ओर से पहल करने की जरूरत है। इस तरह के कार्यक्रम होने से हमारे मिथिला का कल्चर युवाओं को जानने को मिलेगा, वो इसे आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
Let’s Jhijhiya 2023: “झिझिया: सामूहिक प्रतिरोधक सांस्कृतिक स्वर आ पुनर्स्थापनाक संभावना”
इस दौरान “झिझिया: सामूहिक प्रतिरोधक सांस्कृतिक स्वर आ पुनर्स्थापनाक संभावना” विषय पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। परिचर्चा में प्रसिद्ध लेखक भैरव लाल दास, ललित नारायण मिथिला विश्वविधालय के संगीत एवं नाट्य विभाग के विभागाध्यक्ष पुष्पम नारायण और वरिष्ठ रंगकर्मी व पत्रकार किशोर केशव ने हिस्सा लिया. वक्ताओं ने कहा कि इन लोक कलाओं का सही मायने में विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक हर किसी के जेहन में ये रच-बस ना जाएं । इससे आमजनों रुचि,जागृति और इसके प्रति संवेदनशीलता होना जरूरी है।कोई भी कला या संस्कृति अगर वक्त के साथ खुद में कुछ बदलाव नहीं लाती है तो वो अपना अस्तित्व खो देती है ।
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नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी Let’s Jhijhiya 2023 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए
Let’s Jhijhiya 2023 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी, विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी डॉक्टर बी. झा मृणाल, समाजसेवी गजेंद्र झा और चेतना समिति के अध्यक्ष निशा मदन झा ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के रूप रेखा तैयार करने और मंच संचालन में वरिष्ठ रंगकर्मी सागर सिंह की भूमिका अहम रही। स्थानीय सहयोग विवेकानंद झा और अनुपम झा का रहा।