पुराने जमाने में गुरुकुल परंपरा चलती थी, जहाँ छात्र घर से दूर गुरु के आश्रम में जाकर वेद-पुराण की शिक्षा लेते थें. भिक्षा मांग कर भोजन किया करते थे. गुरु भी बिना किसी शुल्क के शिष्यों को शिक्षा देते थें. समय के साथ साथ लोगों के जीवनशैली में बदलाव हुआ. अब लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में पढाना पसंद करते हैं. मगर, दरभंगा जिले में एक ऐसी भी जगह है जहाँ आज भी गुरुकुल परंपरा जीवित है. यहाँ बच्चे गुरुकुल ( Gurukul Tradition) में रहकर भगवा वस्त्र पहनकर आधुनिक शिक्षा तो लेते ही हैं, साथ ही साथ वेदों और मन्त्र के उच्चारण में भी पारंगत हो रहे हैं.
संस्कृत में वेद पढ़ रहें गुरुकुल के बच्चे
यह गुरुकुल दरभंगा के तारडीह प्रखंड के लगमा गाँव में स्थित है. यहाँ जगदीश नारायण ब्रह्मचारी आश्रम नामक गुरुकुल में पड़ोसी देश नेपाल, उत्तरप्रदेश के साथ आसपास के क्षेत्र के डेढ़ सौ के करीब बटुक यानी 7 से 12 साल के बालक वेद कर्मकांड की शिक्षा ले रहे हैं. ब्रह्म मुहूर्त में स्वाध्याय के साथ स्नान, आरती, हवन, रुद्राभिषेक, जलपान, अध्ययन, भोजन एवं गौ सेवा के साथ वेद पाठ इनकी दिनचर्या में शामिल होती है. सुबह सात-आठ बजे से इनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है. शाम में संध्या वंदन भी होती है.
गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा
इस गुरुकुल में पढने वाले छात्रों से निर्धारित शुल्क 21 हजार रूपये एक बार में लिया जाता है. आचार्य की शिक्षा तक कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जाता है. साथ ही जो अभिभावक निर्धन हैं, उनके बच्चे को निःशुल्क पढाया जाता है. गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र का नामांकन परिसर में ही चल रहे संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय में कराया जाता है. वेद कर्मकांड के साथ बटुकों को आधुनिक शिक्षा पद्धति एनसीईआरटी की तर्ज पर हिंदी, अंग्रेजी, पर्यावरण, कंप्यूटर, गणित जैसे अन्य विषयों की भी जानकारी दी जाती है.
भिक्षा में मिले दान से होता हैं संचालन
आश्रम का निर्माण 1963 में जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य जी ने लगमा में श्मशान की एक एकड़ भूमि पर कराया था. 1968 में इसी नाम से संस्कृत महाविद्यालय को मान्यता मिली. बाद में इसी परिसर में जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य आश्रम आदर्श संस्कृत विद्यालय की स्थापना हुई. आज भी यहाँ भिक्षा मांगने की परंपरा है. भिक्षाटन में द्रव्य, अन्न, वस्त्र, लकड़ी इत्यादि जो भी मिलता है बटुक उसे अपने साथ आश्रम पर लाते हैं.
जलसंसाधन मंत्री ने गुरुकुल में कराया गया छात्रावास का निर्माण
वर्तमान में कुटिया के जगह कमरों की व्यवस्था हो गई है. गुरुकुल में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के सहयोग से दो कमरे के हॉल सा छात्रावास का निर्माण कराया गया है. साथ ही निजी तौर पर भी पांच कमरों का निर्माण कराया गया है.