भारतीय संस्कृति की लोगों के दिलों में हमेशा से एक खास जगह रही है। मगर क्या आप जानते हैं भारत में कुछ ऐसे रीति-रिवाज हैं, जिनकी आड़ में औरतों की खरीद-फरोख्त की जाती है। जानकारी के लिए बता दें मध्य प्रदेश के शिवपुरी में सालों से यह सिलसिला जारी है। लोग आज भी इसका पालन करते हैं। मध्यप्रदेश के शिवपुरी में जारी इस प्रथा को धडीचा प्रथा के नाम से जाना जाता है। इसके तहत यहां औरतों की मंडी लगती है एवं पुरुषों को अपनी पसंद की औरत के लिए बोली लगाने का अवसर मिलता है।

जब इन औरतों का सौदा तय हो जाता है तो उसके बाद औरत और उसे खरीदने वाले पुरुष के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है। औरतो के लिए तय रकम के आधार पर 10 से 100 रूपये तक के स्टांप पेपर बनते हैं। इसके लिए 50000 से लेकर 4 लाख तक की रकम तय हो सकती है। कॉन्ट्रैक्ट के तहत खरीददार द्वारा महिला और उसके परिवार को एक तय राशि अदा की जाती है। इसके बाद महिला एक निश्चित समय के लिए खरीददार की बहू या पत्नी बन जाती है।

कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने पर महिला का दूसरा सौदा

अक्सर मोटी रकम देकर जो रिश्ते बनते हैं वह स्थाई होते हैं। अन्यथा कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद मायके लौटने महिअलों का दूसरा सौदा कर दिया जाता है। जानकारी के लिए बता दें ऐसे रिश्ते से जन्मे लेने वाले बच्चों का पिता की संपत्ति पर अधिकार होता है। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद बच्चे को अपनी मां या पिता में से किसी एक को चुनना पड़ता है।

अगर बच्चा अपनी मां के साथ जाता है, तो धड़ीचा प्रथा के अनुसार वह दोबारा शादी कर बच्चों को अपने साथ रख सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें नाना-नानी के पास छोड़ दिया जाता है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, और उड़ीसा जैसे गरीब राज्यों से महिलाओं को यहां लाया जाता है फिर धड़ीचा के जरिए बेच दिया जाता है।

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