बता दे, सीतामढ़ी के कोट बाजार में स्थित सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर माँ जानकी के जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है इस प्रतिमा को भगवान राम की नगरी आयोध्या जैसी पवित्र जगह से मंगवाया गया था। बता दे, आयोध्या के एक संत थे जिनके सपने में आकर हनुमानजी ने कहा की अयोध्या के पोखर में निवास कर रहा हूँ और मुझे माँ जानकी की जन्मस्थल में विराजमान होना है।
इसके बाद में संत ने सीतामंडी के पंडित बलदेव शर्मा को बुलाकर पोखर से हनुमानजी की प्रतिमा को निकालकर सौंप दिया और पंडित बदलदेव ने सीतामंडी शहर के कोट बाजार में महावीर स्थान में हनुमानजी को मूर्ति को स्थापित कर दिया। यहाँ पर विराजमान हनुमान जी की एक खास बात यह है कि हनुमान जी को हर रोज मां जानकी मंदिर में बनने वाले चरणामृत से भोग अर्पित किया जाता है। इस मंदिर की महिमा अपरंपार है यहाँ आने वाले हर एक भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।
ऐसा लगाया जाता है भोग
सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर टीम के एक सदस्य के मुताबिक, जो श्रद्वालु माँ जानकी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते है उन्हें पहले हनुमान जी का दर्शन करना होता है जो श्रद्वालु ऐसा नहीं करते है उन्हें फल नहीं मिलता है इसलिए जो भी इस मंदिर में आता है उन्हें हनुमान जी के दर्शन अवश्य करने चाहिए। इसके साथ ही इस मंदिर की मान्यता भी वहीं है जो अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर की है।
सीतामढ़ी में सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर की जब स्थापना हुई तब से हनुमान जी भोग लगाया जाता है यह भोग हर रोज जानकी मंदिर में चरणामृत लेकर तैयार किया जाता है इस चरणामृत के प्रसाद को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। सिद्धपीठ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ माँ जानकी का भी आशीर्वाद मिलता है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।