Gaganyaan Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया और मिशन गगनयान (SRO Mission Gaganyan) की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मिशन पर जाने वाले चार यात्रियों के नामों की घोषणा की, जो देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन-‘गगनयान’ के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। आपको बात दें कि Gaganyaan Mission चारों एस्ट्रोनॉट्स एनडीए के पूर्व छात्र रहे हैं और चारों पायलट हैं। पीएम मोदी ने आज खुद चारों एस्ट्रोनॉट को अपने हाथों से एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए। इनके नाम प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्णन और शुभांशु शुक्ला हैं।
ISRO Mission Gaganyaan Astronauts अजीत कृष्णन
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन का जन्म 19 अप्रैल 1982 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक और स्वोर्ड ऑफ ऑनर के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। उन्हें 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-21, Mig-29, जगुआर, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं। वह DSSC, वेलिंगटन के पूर्व छात्र भी हैं।
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ISRO Gaganyaan Mission Astronauts प्रशांत बालकृष्णन नायर
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के तिरुवज़ियाड में हुआ था। वो NDA के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में स्वोर्ड ऑफ ऑनर के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वो एक कैट ए फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 3000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के एसी उड़ाए हैं। वे यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र और DSSC, वेलिंगटन और FIS में DS भी हैं। तांबरम। उन्होंने एक प्रमुख लड़ाकू विमान Su-30 Sqn की कमान संभाली है।
ISRO Gaganyaan Mission Astronauts शुभांशु शुक्ला
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, यूपी में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और उन्हें 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त किया गया था। वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित कई प्रकार के एसी उड़ाए हैं।
ISRO Gaganyaan Mission Astronauts अंगद प्रताप
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त हुए थे। वह एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं।
गगनयान मिशन क्या है? (What is Gaganyaan Mission?)
गगनयान देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी। इस मिशन को 2024 के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। इसी साल मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा। गगनयान मिशन तीन दिवसीय है। मिशन के लिए 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा पर मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा।
गगनयान मिशन से क्या हासिल करेगा भारत? (What will India achieve from Gaganyaan Mission?)
गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। वर्तमान में ऐसा मुकाम हासिल करने वाले देश केवल अमेरिका, रूस और चीन ही हैं।
गगनयान मिश कब होगा लांच ? (When will Gaganyaan MISH be launched?)
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक बयान में कहा था कि गगनयान मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री 2025 में उड़ान भरने का इंतजार कर रहे हैं। सोमनाथ ने कहा था, ‘चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद इसरो गगनयान मिशन को संभव बनाने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है।
अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाना इस मिशन का बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। इसे संभव बनाने के लिए हमें बहुत सारी तकनीक विकसित करने की जरूरत है और हम इसे संभव बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इसके लिए कई तकनीकों को नए सिरे से विकसित और सफल बनाया गया है।